Thursday, April 23, 2009

अपने फ्रेंड्स के लिए कविता

मैं उसको प्यार करता हूं.... आय लव हर
वो अनफिनिस्ड बुक की तरह लगती है
बट आई डोंट टच द ग्रेट बुक्स लेकिन महसूस करता हूं
और मेरे दोस्त मैं अपने प्यार के लिए बहुत कुछ कहूंगा
जैसे कुछ भी बुक की तरह नहीं और न लवर की तरह
इस तरह उसे पढ़ा नहीं जा सकता है
जिसे मैं गाता हूं और प्यार करता हूं

मुश्किल है किताबों को पेड़ों और फूलों की तरह देखना
रामायण को कोयल की तरह गाना मेरे दोस्त
कुरान और बाइबिल को गिटार पर बजाना और हार्ड
बट आई थिंक इसे हमारी कल्चर होना जरूरी है

मैं उस लड़की से प्यार करता हूं
धूप में पेड़ के खड़े रहने जैसा
क्या तुमने ऐसा प्यार किया है
जो फूलों की तरह लहराता और मिट्टी जैसा ठोस

तुम मुझ से बातें करो
यह कालीदास की बड़ी कल्पनाओं का प्यार है
ये वही काले बादल विदिशा पर उड़ रहे हैं

मेरे दोस्त प्यार दुनिया को देखने का एंगल है
जहां हार और जीत नहीं होती
यह कविता तुम्हारे लिए है तुम जो प्यार करते हो
ओनली फाॅर यू



रवीन्द्र स्वप्निल प्रजापति

4 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

मेरे दोस्त प्यार दुनिया को देखने का एंगल है
जहां हार और जीत नहीं होती

bahut baDhiyaa!!

MAYUR said...

अच्छा लिखा है आपने और सत्य भी , शानदार लेखन के लिए धन्यवाद ।

मयूर दुबे
अपनी अपनी डगर

प्रदीप कांत said...

हवा आएगी और मेरे कान पकड़ेगी
किरणें बिस्तर में आकर गुदगुदाएंगीं
मैं जाग जाउंगा मां
मुझे दुबका रहने दो

क्या बात है?

गजेन्द्र सिंह said...

.बहुत खूबसूरती के साथ शब्दों को पिरोया है इन पंक्तिया में आपने ........

पढ़िए और मुस्कुराइए :-
आप ही बताये कैसे पर की जाये नदी ?